अवैध कालोनियों में सीवेज ट्रीटमेंट पर सवाल
मथुरा से न्यूज लाईव के लिए नितेश भाटी की रिपोट

मथुरा। न्यायालय की सख्ती के बाद अफसरों में खलबली मची हुई है। एक तरफ उच्च न्यायालय यमुना में गिर रहे नाले, सीवर को लेकर सख्त है तो दूसरी और राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण यमुना के विचरण स्थल (खादर) में निर्माणों को लेकर नाराज है। इस बीच अब अधिकारियों की नींद भी टूटने लगी है। जिले में करीब एक हजार से अधिक अवैध कालोनियां हैं। इन कालोनियों सीवेज ट्रीटमेंट के कोई इंतजाम नहीं हैं। ये सीवेज और गंदा पानी नालों के सहारे सीधे यमुना में समाता है। जो यमुना के बढ़ते प्रदूषण की एक बड़ी वजह है। बड़ी समस्या ये है अवैध कालोनियाें की जानकारी ही अधिकारियों को नहीं है। ऐसे में कार्रवाई का कोई सवाल ही नहीं उठता है। न्यायालय की सख्ती के बाद क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड में भी खलबली मची हुई है। बोर्ड के अफसरों ने मथुरा-वृंदावन विकास प्राधिकरण से अवैध कालोनियों की सूची मांगी है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी अरविंद कुमार ने बताया सीवेज का ट्रीटमेंट न होना गंभीर बात है। हमने इस मामले में कालोनियों की सूची मांगी है। उसके बाद अफसरों की टीम स्थलीय निरीक्षण करेगी।
