कुमाउँनी सिंगर के रूप में विख्यात हैं रविंद्र सिंह बोरा
गणाई गंगोली से न्यूज लाईव संवाददाता दीनदयाल उपाध्याय की रिपोंट:—-
गणाई गंगोली-तालीमें नहीं दी जाती परिंदों को वो खुद ही तय करते हैं ऊंचाई आसमानों की,जो रखते है हौंसला आसमान छुने का वो परवाह नही करते जमीन पे गिर जाने की….जी हाँ,ये लाइनें रविंद्र सिंह बोरा जी पर फिट बैठती हैं…रविंद्र सिंह बोरा बचपन से ही एक गायक कलाकार रहे हैं..उन्हें पहाड़ी गानों का इतना शौक है कि आज वो कुमाउँनी सिंगर के रूप में विख्यात हो चुके हैं।
रविंद्र सिंह बोरा पिथौरागढ़ जिले के गणाई गंगोली के देवराड़ी बोरा के श्री भवान सिंह बोरा व श्रीमती हीरा देवी के पुत्र हैं। रविंद्र सिंह बोरा ने हाइस्कूल व इंटरमीडिएट की परीक्षा राजकीय इंटर कॉलेज गणाई गंगोली से पास की व उसके बाद उन्होंने राजकीय पॉलिटेक्निक गणाई गंगोली से मैकेनिकल ब्रांच से डिप्लोमा किया। लेकिन इसी बीच वो पढ़ाई के साथ-साथ अपना ध्यान पहाड़ी गानों में भी देने लगे..रविंद्र बोरा बचपन से ही पहाड़ी गानों के शौकीन रहे हैं। इसी कारण जहाँ उनको मौका मिलता वहाँ वो अपने गानों से सबको मोहित करते रहे…धीरे-धीरे उनके गानों की गूँज फैलती रही और उन्हें उनकी असली पहचान मिलने लगी,तभी उनको बौराणी मेले, सेराघाट के मेले आदि जगह से बुलावा आने लगा…क्षेत्र के सभी स्टेज में अपने गानों से लोगों का दिल जीत चुके रविंद्र सिंह बोरा को फिर लोग कुमाउँनी सिंगर के नाम से जाने लगे…और अभी तक वो पिथौरागढ़, हल्द्वानी,बरेली, आदि जगहों पर अपनी प्रस्तुति दे चुके हैं। आज वो जहाँ कहीं भी जाते हैं तो कुमाउँनी सिंगर के नाम से जाने जाते हैं। उनके गाने सुनने के लिए लोग कईँ दूर से आते हैं।
रविंद्र सिंह बोरा जी एक छोटे से गाँव गणाई से हैं। जहाँ ऐसी कोई भी सुविधा नहीं है..जिससे वो कुछ सीखे या कही गानों की ट्रेनिंग ले सके । या यूं कहें कि कोई गाने की ऐसी अकैडमी हो जहाँ से वो कुछ ट्रेनिंग ले सकें,वो तो बचपन से ही उनमें ऐसा हुनर था कि महज T. V. में पहाड़ी गाने देखने व सुनने से ही उन्होंने बहुत बड़ी कामयाबी हासिल कर दी और आज अपना,व अपने माता-पिता का नाम तो रोशन कर ही रहे हैं साथ में देवराड़ी बोरा (गणाई गंगोली) का भी नाम रोशन कर रहे हैं।