दीपावली: बर्तनों पर महंगाई की दोहरी मार
मथुरा से न्यूज लाईव के लिए नितेश भाटी की रिपोंटः–
धनतेरस के करीब आते ही बाजार में बर्तनों की खनक सुनाई देने लगी है, लेकिन इसकी आवाज महंगाई तले दबी हुई है। बर्तन कारोबारियों को त्योहार से उम्मीद तो है, लेकिन वे सशंकित भी हैं। उनको नहीं लगता कि इस बार वे धनतेरस पर गतवर्ष की बिक्री का आंकड़ा छू पाएंगे। यही वजह है कि अभी बर्तन बाजार सन्नाटे के दौर से गुजर रहा है।
धनतेरस का त्योहार 17 अक्तूबर को मनेगा। बर्तन कारोबारियों की असली दीवाली इसी दिन होती है। यही वजह है कि शहर में दो सैंकड़ा से अधिक छोटे-बड़े बर्तन विक्रेताओं ने दुकानें सजानी शुरू कर दी हैं। जीएसटी के चलते उनको दिल्ली व मुरादाबाद से बर्तन मंगाने पर 12 प्रतिशत तक जीएसटी देना पड़ रहा है, जबकि गतवर्ष उन्होंने इसी माल पर मात्र 5 फीसदी वेल्यू एडेड टैक्स दिया था। यही नहीं बर्तन 20 से 30 फीसदी अलग से महंगे हुए हैं। उदाहरण के तौर पर इसके चलते पहले जहां एक थाली के 80 रुपये देने पड़े थे, वहीं इस बार ग्राहक को इसी थाली के 107 रुपये देने पड़ेंगे। यही स्थिति तांबा और पीतल के बर्तनों की भी है। गतवर्ष स्टील 150 रुपये तो इस बार 180 रुपये किलो है। इसी तरह पीतल गतवर्ष 400 रुपये किलो थी, जबकि इस बार 450 रुपये किलो है। तांबे की कीमत में भी 100 रुपये प्रति किग्रा का इजाफा हुआ है। इस कीमत पर 12 प्रतिशत जीएसटी और लगाया जा रहा है।
इन बाजारों में बर्तन का प्रमुख कारोबार
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कारोबारियों का मनना है कि ग्रामीण अंचल में तांबे-पीतल के बर्तनों की डिमांड रहती थी। लोग धनतेरस पर ही सहालगों में दिए जाने वाले बर्तनों की खरीदारी भी करते रहे हैं, लेकिन इस बार इसकी उम्मीद न के बराबर है। शहर के चौक बाजार, होली गेट, जवाहर हाट, आर्य समाज रोड, कोतवाली रोड, धौलीप्याऊ, कृष्णा नगर आदि बाजारों में बर्तन कारोबारियों को दुकानों पर छाया सन्नाटा टूटने की उम्मीद है।
जीएसटी ने बढ़ा दी महंगाई
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तांबा, पीतल, स्टील के बर्तनों पर 12 प्रतिशत जीएसटी लगने की वजह से इनकी कीमत में तेजी से उछाल आया है। वैसे ही गतवर्ष की अपेक्षा इन धातुओं के बर्तनों में 20 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी थी, जिन पर पांच प्रतिशत तक वेल्यू एडेड टैक्स लगता था, लेकिन अब 12 प्रतिशत जीएसटी भी लग रही है। इसके चलते बर्तनों का बाजार और ज्यादा महंगा हो गया है।
मथुरा में भी बनते थे पीतल के बर्तन
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तीन दशक पहले तक मथुरा में बर्तनों का निर्माण होता था, लेकिन धीरे-धीरे अब यह कारोबार बंद हो गया। अब सिर्फ कुछेक स्थानों पर ही तांबे के बर्तन बनते हैं। पीतल और तांबे बर्तन मुरादाबाद से मंगाए जा रहे हैं, जबकि स्टील के बर्तन दिल्ली से खरीदे जा रहे हैं। यही वजह है कि मथुरा का बर्तन कारोबार अब सिर्फ खरीद और बिक्री पर टिक गया है। फिर भी प्रतिवर्ष यहां 10 करोड़ से अधिक बर्तन का कारोबार होता है।
-200 से अधिक बर्तन की दुकानें
-180 रुपये किलो स्टील के बर्तन
-450 रुपये प्रति किलो पीतल
-700 रुपये प्रति किलो तांबा
“धनतेरस पर बर्तन खरीदने का विशेष महात्म माना जाता है। यही वजह है कि दीपावली पर बर्तनों की डिमांड बढ़ जाती है। अब लोग स्टील के बर्तन ही ज्यादा खरीद रहे हैं, लेकिन इसकी कीमत भी गतवर्ष की अपेक्षा 40 से 50 रुपये प्रति किलो बढ़ी है।”
-प्रवीन कुमार, बर्तन व्यवसायी
“बाजार में अभी त्योहार की कोई रौनक नजर नहीं आ रही। नोटबंदी के बाद जीएसटी ने मंदी को और बढ़ा दिया है। धनतेरस पर इस बार कारोबार में 40 फीसदी तक गिरावट आने की उम्मीद की जा रही है। लोग बड़ी खरीदारी से अभी बच रहे हैं।”
-अश्वनी कुमार, बर्तन कारोबारी