देश के नेताओ से कैसा कैसा व्यवहार कर रही है जनता ?
देश के नेताओ से कैसा कैसा व्यवहार कर रही है जनता ?क्यों कभी जूता तो कभी सही फेंकने को मजबूर है जनता?
कुरुक्षेत्र राकेश शर्मा 12 मार्च
बच्चों नेता तुम्ही हो कल के ये किसी प्रार्थना की जो स्कूलों में भी सुनाई जाती थी इस पंक्ति मे बच्चों को शायद नेता बनने या फिर उनकी तरह ही बनने की बात कही जा रही लेकिन आज इस पंक्ति के मायने बदल गए है जिस प्रकार नेता जी बदल गए है जी है सत्य कद्वभो सकता है आज देश के नेताओ की हालत और उनका चरित्र वो नही रहा जो आदरसूचक था। देश मे आज कल देश जी जनता का गुस्सा इन नेताओं पर सारे आम उतराने लगा है और मुझे तो ये लगता है जो ताम जाम अर्थात जो सुरक्षा लेकर चल रहे है उनको जनता से शायद अब डर भी लगने लगा है ?
आज देश के नेता जी अपनी ही सोच रही है पहले राजनीति मे देश सेवा के लिए आते थे लेकिन अब अपनी सेवा के लिए आते है शायद लेकिन आज की राजनीति और राजनेताओं पर लोग कही जूता फहक रहे है तो कही सही पोंछ रहे है क्या देश की जनता मे इन नेताओं के प्रति गुस्सा, आक्रोश है जिसका जवाब अब जनता इनको सारे आम देना चाहती है क्या अब 5 साल की भी प्रतीक्षा नही कर पा रही 5 साल इस लिये क्योंकि जब सत्ता परिवर्तन होता ओर जब सत्ता का सुख भोग रही सरकार को जनता फेल कर देती है या यू कहे कि जब जनता की उमीदों पर खरा नही उतरती तो यही जनता जनार्दन सरकार का तख्ता पलट करने का काम करती है देश की जनता जान चुकी है कि नेताओ के जुमले ओर झुठे वायदों का हिसाब केवल एक वोट की चोट से ही दिया जा सकता है इस लिये जब जनता के काम नही होते तो वो इतना बढ़ा कदम उठाते है। सड़को पर उतर कर वो आम जन तक अपनी बात पहुँचाना चाहते है की किस प्रकार नेता जी ने झूठे वायदे करके सत्ता पर आसीन होंने का काम किया है शायद आने वाली राजनीति मे या तो देश के नेताओ को जनता के काम करने होंगे या फिर देश की जनता को अपना गुस्सा ओर आक्रोश यूही नेताओ पर निकलना होगा सच मे बदल रही देश की राजनीति और राजनेताओं के हालात जनता है खमोश ….
क्या देश के झूठ और फरेब की राजनीति करके ही वोट हथियाने का काम कर रहे है ? क्या जनता की उमीदों पर खरा नही उतर पा रहे है देश के राजनेता ?
सवाल कई है शायद इन्ही सवाल का जवाब मांगते मांगते देश की जनता अब इन नेताओ से ऐसा व्यवहार करने पर मज़बूर हो रही है इसलिये शायद कही पर जूता तो कही पर सही फेंकी जा रही है—-