बीजेपी की करारी हार के बाद एक बार फिर पार्टी के बाहुबली नेता पूर्व सांसद रमाकांत यादव ने सीएम योगी के खिलाफ मार्चा खोला
न्यूज लाईव के लिए बरेली से यशपाल दिवाकर की रिर्पोट:—-
आजमगढ़. यूपी के गोरखपुर व फूलपुर संसदीय सीट पर हुए उपचुनाव में बीजेपी की करारी हार के बाद एक बार फिर पार्टी के बाहुबली नेता पूर्व सांसद रमाकांत यादव ने सीएम योगी के खिलाफ मार्चा खोल दिया है। रमाकांत ने बाकायदा प्रेस कांफ्रेस कर सीएम पर हमला बोला और कहा कि पूजा पाठ करने वाला कितना सरकार चलाएगा। योगी आदित्यनाथ के एक जाति को लेकर चलने के कारण पूरे प्रदेश में गलत मैसेज गया। यह सपा और बसपा के गठबंधन की जीत नहीं बल्कि बीजेपी की हार पिछड़े और दलितों की उपेक्षा के कारण हुई है। आरक्षण से छेड़छाड़ करने और दलित पिछड़ों की उपेक्षा का परिणाम बीजेपी भुगत रही है। यदि यही रहा रहा तो वर्ष 2019 में बीजेपी का हाल और बुरा होगा।
पूर्व सांसद ने कहा कि हमने तीन माह पहले ही कहा था कि पिछड़े दलितों ने बीजेपी को यूपी में पूर्ण बहुमत दिलाया था लेकिन जिस तरह मकान तैयार करते समय सटरिंग लगाई जाती है और तैयार होने के बाद उसे निकाल दिया जाता है उसी तरह सरकार बनने के बाद पिछड़े और दलितों को अलग कर दिया गया। हमने कहा था कि अगर दलित और पिछड़ों की उपेक्षा होती रही तो 2019 में खामियाजा भुगतना पड़ेगा लेकिन तीन महीने बाद ही सामने आ गया। यह दलित पिछड़ों का अधिकार न देने, उनकी उपेक्षा करने, उन्हें प्रताड़ित करने और उनके अधिकारियों को उपेक्षित करने का परिणाम है। अभी समय है बीजेपी चेत जाए और दलित, पिछड़ों को उनका अधिकार देने के साथ ही साथ लेकर चले नही तो परिणाम भुगतना होगा।
उन्होंने कहा कि मुझे लगा था योगी सीएम बनेंगे तो सभी को साथ लेकर चलेंगे लेकिन उन्होंने बहुत गंदा काम किया। केवल एक जाति के लोगों को लेकर चले, जाति विशेष के लोगों प्रोत्साहान दिया जिससे पूरे प्रदेश में गलत संदेश गया। वैसे भी पूजा पाठ करने वाला क्या जाने सरकार चलाना, योगी जैसे लोग सबको साथ लेकर नहीं चल सकते। हार की जिम्मेदारी किसे लेनी चाहिए योगी या मोदी के सवाल पर उन्होंने कहा कि मोदी क्यों लेंगे यह प्रदेश का मामला है जिम्मेदारी प्रदेश संगठन सरकार और सीएम की है।
उन्होंने कहा कि मैने खुद कई जिलों में देखा है सरकार बनने के बाद दलितों को पोस्टिंग हो गयी क्योंकि वे सिंह लिखते थे लेकिन जब पता चला तो उन्हें हटा दिया गया। यह भी कहा जाता है कि अधिकारी नान यादव होना चाहिए। यादव आरक्षण के लिए परेशान नहीं है, अब वह बहुत आगे निकल गया है वह जनरल में भी 70 प्रतिशत पर क्वालीफाई कर रहा है। वह अपने अति पिछड़ों और अति दलितों के विकास के लिए परेशान है उन्हें उनका हक और अधिकार दिलाना चाहता है।
उन्होंने कहा कि पिछड़ा और दलित देश में कवच के समान है, उसकी उपेक्षा ठीक नहीं है। क्या हार का कारण सपा और बसपा का गठबंधन के सवाल पर उन्होंने कहा कि वर्ष 2009 में कौन सा गठबंधन था जब बीजेपी यूपी में 10 सीट पर सिमट गई थी। वर्ष 2014 में पीएम मोदी ने खुद को पिछड़ा और चाय वाला बताया तो गरीबों, पिछड़ों और दलितों को विश्वास हो गया कि उनके प्रधानमंत्री बनने पर विकास होगा लोग साथ खड़े हुए।
राज्यसभा में बीजेपी द्वारा सभी जाति के लोगों को हिस्सेदारी देने के संबंध में उन्होंने कहा कि कुछ लोग नामित हुए है लेकिन ऐसे भी लोग होते है जो कुर्सी पाने के बाद नाइंसाफी पर चुप्पी साध जाते हैं, ऐसे लोग आवाज नहीं उठा सकते। मैं हार से दुखी नहीं हूं बल्कि पार्टी के लिए चिंतित हूं। पार्टी बदलने के सवाल पर रमाकांत यादव ने कहा कि ऐसा कोई विचार नहीं है और ना ही मुझे संसद या विधानसभा जाने का शौक है नौ बार जा चुका हूं और कितनी बार जाउंगा, अगली पीढ़ी अब आगे बढ़े यह मेरा प्रयास है। मेरे लिए दल नहीं बल्कि पिछड़े और दलितों का सम्मान महत्वपूर्ण है। मैं उनके स्वाभिमान और सम्मान के लिए लड़ता रहूंगा।