रोशनी के त्योहार पर जिले के कई गांवों में अंधेरे का ग्रहण
पिथौरागढ से न्यूज लाईव के लिए शेखर जोशी की रिपोंट:–
-आजादी के दशकों बाद भी कई ग्रामीण क्षेत्रों में लोग अब भी छिलकों और लालटेन की रोशनी में रात बीताने को हैं मजबूर
-हर बार की तरह इस बार भी लोगों का बिजली की रोशनी में दीपावली मनाने का सपना हुआ चकनाचूर
पिथौरागढ़। शेखर जोशी
राज्य के हर ग्रामीण क्षेत्रों में आज अभूतपूर्व विकास दावे किए जा रहे हैं, लेकिन कई ग्रामीण इलाके ऐसे भी हैं, जो सरकार के खोखले दावों को आईना दिखा रहे हैं। सीमांत जनपद के कई गांवों में लोग आज भी छिलकों और लालटेन की रोशनी में रात गुजार रहे हैं। हर बार की तरह इस बार भी इन गांवों में दीपावली को बिजली की रोशनी में मनाने का लोगों का सपना सपना बनकर ही रह गया है।
आजादी के 71 वर्षों बाद भी सरकार सीमांत जनपद के मुनस्यारी, धारचूला, थल और गंगोलीहाट के कई गांवों में बिजली नहीं पहुंचा सकी है। जिससे इन गांवों में विकास सपना पूरा नहीं हो सका है। ग्रामीण कई बार गांव में बिजली पहुंचाने के लिए जन प्रतिनिधियों, प्रशासन और सरकार से गुहार लगा चुके हैं। इसके बावजूद भी आज तक इन गांवों में बिजली नहीं पहुंच पाई है। स्थानीय लोगों ने कहा कि दीपावली जैसे पर्व पर अन्य गांवों में जब लोग बिजली से अपने घरों को रोशन करते हैं। तो वे स्वयं को ठगा सा महसूस करते हैं। कहा कि वे हर बार ये सोचकर इंतजार करते हैं, कि शायद अगले वर्ष सरकार उनके गांवों में बिजली पहुंचा दे, लेकिन तंत्र की कार्यप्रणाली व जनप्रतिनिधियों में इच्छा शक्ति की कमी उनके सपनों को चकनाचूर कर देती है। जिससे यहां के ग्रामीणों में खासी नाराजगी है।
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सरकारी उपेक्षा से छूट रहे हैं गांव
पिथौरागढ़। विज्ञान युग में हर रोज हो रहे नए प्रयोगों के बाद भी सीमांत जिले के कई गांवों के लोग उपेक्षा की जिदंगी जी रहे हैं। इन गांवों आज भी विद्युत आपूर्ति सुचारु नहीं की जा सकी है। बिजली जैसी मूलभूत सुविधा के अभाव में ग्रामीण अपने घरों, खेत खलिहानों छोड़ पलायन करने को मजबूर हो गए हैं। कई हंसते खेलते गांवों में आज परिवारों की संख्या बेहद कम हो गई है। कई परिवार यहां से पलायन कर चुके हैं। कई पलायन की कगार पर है। अगर समय रहते सरकार नहीं चेती तो ये गांव पूरी तरह खाली हो जाएंगे और यहां के खेत खलिहान बंजर हो जाएंगें।
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ये गांव हैं विद्युत विहीन-
बुई, पातो, मिलम, थली-मेतली, तारसेन, देवथल, बननी, व्यास, बूंदी, नपल्च्यू, गर्ब्यांग, गूंजी, नामी।