लकड़ी  का हर टुकड़ा महत्वपूर्ण, गीता महोत्सव में दिखाई दे रही झलक

लकड़ी  का हर टुकड़ा महत्वपूर्ण, गीता महोत्सव में दिखाई दे रही झल
सहारनुपर के मोहम्मद ने व्यर्थ की लकडिय़ों को दिया नायाब वस्तुओं का स्वरूप
बेहतरीन नक्काशी व कला से फेंकी गई लकडिय़ों को मिला सोफा-कुर्सियां-टेबल का रूप 
पोपलर की खेती करने वाले किसानों में जगी उम्मीद की नई किरण: मोहम्मद आरिफ
 कुरूक्षेत्र न्यूज लाईव संवाददाता राकेश पंडित:—
कुरुक्षेत्र  कलात्मकता व रचनात्मकता के समक्ष कोई भी वस्तु नाकारा नहीं होती। इसका ज्वलंत उदाहरण अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव के तहत आयोजित सरस मेले में लगाई स्टॉल पर देखने को मिल रहा है। व्यर्थ समझकर फेंकी जाने वाली लकडिय़ों को सहारनुपर के मोहम्मद आरिफ ने नायाब नक्काशी के सहारे बेहतरीन स्वरूप प्रदान किये हैं, जिसके बाद महंगे दामों पर इनकी मांग हो रही है।
अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव के अंतर्गत आयोजित सरस मेले में मोहम्मद आरिफ ने खुले परिसर में अपनी स्टॉल सजाई है। उनकी नक्काशी व कला को देखकर लोग एकाएक ठिठक कर रूक जाते हैं। शिल्पकार मोहम्मद ने अनूठी मुहिम छेड़ी है। उन्होंने खराब समझकर कूड़ें में फेंकी जाने वाली लकडिय़ों को काम में लेना शुरु किया है। वे बताते हैं कि कुछ वर्ष पूर्व उन्होंने व्यर्थ की लकडिय़ों को प्रयोग में आने वाली वस्तुओं का आकार देना शुरु किया, जिसका अनुकरण अन्य शिल्पकार भी करने लगे हैं। शिल्पकार आरिफ  के अनुसार उत्तरप्रदेश में पोपलर की खेती की जाती है, जिसकी लकड़ी को फैक्ट्रियों में प्राथमिकता के साथ नहीं खरीदा जाता। ऐसे में पोपलर के किसानों के सामने आर्थिक संकट खड़ा होने लगा। आरिफ ने कहा कि उन्होंने पोपलर की लकड़ी में भी शिल्पकला का जादू डाला। इससे पोपलर की लकड़ी भी काम में आने लगी, जिसका लाभ किसानों को मिल रहा है।
मोहम्मद आरिफ ने लकड़ी के टुकड़ों को एकत्रित कर नक्काशी एवं कला के मिश्रण से नायाब सोफा सैट,डायनिंग टेबल,  रोबिन कुर्सी, झूला, फ्लॉवर पोट्स, किचन के लिए सर्विस ट्रॉली, गिट्टी वाला स्टूल तथा कॉर्नर आदि का निर्माण किया है। उन्होंने खराब लकडिय़ों से 20 रुपये की वस्तु से 3-4 लाख रुपये तक की वस्तुओं का निर्माण किया है। शिल्पकार मोहम्मद ने अपनी इस कला का प्रदर्शन सूरजकुंड मेले, अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेला तथा महाराष्ट्र एवं बिहार में लगने वाले मेलों में भी किया है। उनका कहना है कि उन्होंने शिल्पकला को आधुनिक रूप प्रदान किया है,जिससे नायाब वस्तुओं का शौक रखने वालों ने उनकी वस्तुओं को प्राथमिकता के साथ खरीदा है। उन्होंने कहा कि धरती पर कोई भी वस्तु खराब या व्यर्थ नहीं होती। सबका अपना महत्व व कार्य होता है। जरूरत होती है उसे तराशने की। इसमें शिल्पकला महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती है।
डा0 संजीव कुमारी को डा0 शांति स्वरूप शर्मा अवार्ड से नवाजा
कुरुक्षेत्र, 28 नवम्बर () आज पर्यावरणविद डा0 संजीव कुमारी को स्वतंत्रता सेनानी डा0 शांति स्वरूप शर्मा अवार्ड से नवाजा गया। यह आयोजन जयराम विद्यापीठ में आयोजित सामूहिक विवाह समारोह में किया गया। सामूहिक विवाह सम्पन्न होने के बाद मुख्य अतिथि राज्यपाल कप्तान सिंह सोलंकी तथा श्री जयराम संस्थाओं के संचालक ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी जी महाराज ने यह अवार्ड डा0 संजीव कुमारी को प्रदान किया। अपने सम्बोधन में ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी ने कहा कि यह अवार्ड किसी विद्वान को उसके उत्कृष्ट कार्यों की एवज में प्रदान किया जाता है। आज दिए गए इस अवार्ड में प्रशस्ति पत्र, स्मृति चिन्ह, कुरुक्षेत्र वैद्य मंदिर की ओर से प्रमोद कौशिक द्वारा 11000 रुपए का कैश अवार्ड तथा शॉल देकर डा0 संजीव कुमारी को सम्मानित किया गया। स्वतंत्रता सेनानी डा0 शांति स्वरूप शर्मा एवं श्रीमती लीलावती चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रवक्ता डा0 अरविन्द शर्मा ने बताया कि यह अवार्ड पिछले 13 सालों से जयराम विद्यापीठ के गीता जयंती समारोह में दिया जा रहा है। उन्होंने बताया कि बरगद के पेड के नीचे मिट्टी की खाद पर शोध को लेकर यह अवार्ड दिया गया क्योंकि डा0 संजीव कुमारी विश्व की ऐसी पहली शोधकर्ता हैं। इस मौके पर श्रवण कुमार, के.के. कौशिक, खरैती लाल सिंगला, सुरेन्द्र गुप्ता, टेक चंद लोहार माजरा, कुलवंत सैनी भी मौजूद थे।
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