लोक धुनों का प्रयोग कर आमजन तक सरकार की योजना पहुंचाना सरल:स्मिता
लोक धुनों का प्रयोग कर आमजन तक सरकार की योजना पहुंचाना सरल:स्मिता
कुरुक्षेत्र न्यूज लाईव संवाददाता- राकेश शर्मा
कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय संगीत विभाग की अध्यक्षा डा. सुचि स्मिता ने कहा कि गीतों के शुरू और अंत में लोक धुनों का प्रयोग करके आमजन को आकर्षित किया जा सकता है। इस दौरान कलाकार अपने गीतों के माध्यम से सरकार की योजनाओं को सहजता से आमजन के सामने रख सकता है। विशेष अभियान के कार्यक्रमों में रोचकता बनाए रखने के लिए कलाकारों को विशेष कैप्सूल प्लान तैयार करना होगा। इस प्लान के तहत 3-4 गीत, वार्ता, चुटकले आदि को एक सूत्र में जोडऩा होगा। इन तमाम पहलुओं को ध्यान में रखकर भजन मंडली के सदस्यों और खंड प्रचार कार्यकर्ताओं को अपने आप को नई योजनाओं से अप टू डेट रखना पड़ेगा। वे मंगलवार को सूचना, जन सम्पर्क एवं भाषा विभाग की अम्बाला मंडल कार्यशाला के दूसरे दिन मल्टी आर्ट कल्चरल सेंटर में बतौर मुख्य वक्ता के रूप में बोल रहीं थीं। उन्होंने कहा कि लोक कलाकार अपने मन की बात और सरकार की योजनाओं को आमजन तक पहुंचाने में सबसे सशक्त माध्यम है। जब तक प्रचार तंत्र का यह माध्यम अप टू डेट नहीं होगा, योजनाओं को आमजन तक नहीं पहुंचाया जा सकता। इस प्रकार की कार्यशालाओं में जहां लोक कलाकारों को अप टू डेट किया जा रहा है, वहीं सरकार की नवीनतम योजनाओं की प्रचार सामग्री भी मुहैया करवाई जा रही है। इस प्रचार सामग्री से भजन मंडली के सदस्य और खंड प्रचार कार्यकर्ता सरकार की तमाम योजनाओं को अपने गीतों, किस्सों और नाटकों में समायोजित कर एक विशेष कैप्सूल प्लान तैयार कर सकते हैं। इसके लिए कलाकारों को मेहनत, ईमानदारी और लगन के साथ अपनी बुद्धि का निर्वाह करने की निहायत जरुरत है। उन्होंने भजन पार्टी के कलाकारों को मंच पर बुलाकर प्रैक्टिकल कार्य भी करवाए। इस दौरान भजन मंडली के सदस्यों ने भी अपने नये गीतों को खुलकर सबसे सामने रखा। इस दौरान डा. सुचि स्मिता ने कलाकारों को सरस्वती वंदना का रियाज भी करवाया। दोपहर के सत्र में द्रोणाचार्य डिग्री कालेज के शिक्षक दिलावर कौशिक ने लोक कलाकारों को नई धुन बनाने और नये गीत लिखने की बारीकियो को सबके सामने रखा। उन्होंने कहा कि जब तक धुनों और गीतों में नयापन नहीं होगा, तब तक आमजन को अपनी तरफ आकर्षित नहीं किया जा सकता। इसलिए सभी कलाकारों को आमजन की रोचकता को ध्यान में रखकर नई धुन और नये गीत लिखने चाहिए। जिला सूचना एवं जन सम्पर्क अधिकारी धर्मवीर सिंह ने कहा कि 8 फरवरी तक चलने वाली इस कार्यशाला में कलाकारों को नई धुनों, संगीत की बारीकियों के बारे में विषय विशेषज्ञों द्वारा प्रशिक्षण दिया जा रहा हैं। 7 फरवरी को कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय संगीत विभाग के शिक्षक डा. अशोक शर्मा, प्रसिद्ध लोक कलाकार बालकिशन और सेवा निवृत डीआईपीआरओ देवराज सिरोहीवाल को विषय विशेषज्ञ के रुप में आमंत्रित किया गया हैं।
कलाकारों को खुद से संगीत रचना के साथ जुडऩे की जरुरत:सिरोहीवाही
सेवा निवृत डीआईपीआरओ देवराज सिरोहीवाल ने अम्बाला मंडल की भजन मंडली सदस्यों व खंड प्रचार कार्यकर्ताओं की कार्यशाला के दूसरे दिन दोपहर बाद के सत्र में मुख्य वक्ता के रूप में बोलते हुए कहा कि संगीत की रचना की उदभावना के लिए कलाकारों को खुद से जुडऩे और अपने लिए अपनी दिनचर्या में से कुछ समय निकालने की जरुरत है। जब तक कलाकार संगीत के लिए समय नहीं निकालेगा, तब तक संगीत में कलाकार नहीं रम पाएगा। उन्होंने स्वनिर्मित रचनाओं को कलाकारों के सामने रखते हुए कहा कि कलाकारों को इन रचनाओं को बनाने की प्रक्रिया को अपने जहन में रखना होगा। इसके साथ ही प्रेरक धुनों का भी प्रयोगिक रूप से प्रदर्शन किया गया।