विश्व एड्स दिवस- बचाव में ही है सुरक्षा, घबराएं नहीं जागरुक बनें, जानिए जरूरी बातें
विश्व एड्स दिवस- बचाव में ही है सुरक्षा, घबराएं नहीं जागरुक बनें, जानिए जरूरी बाते
पटना न्यूज लाईव संवाददाता, सनाउल हक़ चंचल-
पटना। आज वर्ल्ड एड्स डे है. आज बिहार में एड्स को लेकर जागरुकता लाने के मकसद से कई कार्यक्रम आयोजित किए गए हैं. विश्व एड्स दिवस मनाने की शुरुआत 1988 से हुई. इसका मकसद एचआईवी संक्रमण और एड्स को लेकर जागरुकता बढ़ाना है. दुनियाभर की सरकारें, गैर सरकारी संगठन और विभिन्न संस्थाएं इस दिन जागरुकता कार्यक्रम आयोजित करती हैं.
एड्स को लेकर आज भी दुनियाभर में जागरुकता की कमी है. हमारे देश में भी सरकार ने कई जागरुकता कार्यक्रम चलाएं हैं. एड्स साथ बैठने, खेलने-कूदने, बातचीत करने, खाना खाने, गले लगने, हाथ मिलाने से नहीं फैलता है. लेकिन अभी भी समाज या परिवार में ये पता चल जाता है कि कोई एड्स का रोगी है, तो पीड़ित को एक तरह से बहिष्कृत जीवन जीना पड़ता है. लोग पीड़ित और उसके परिवार के साथ भेदभाव करते हैं.
एड्स फैलने के कारण
असुरक्षित यौन संबंध
संक्रमित खून चढ़ाने से
एड्स पीड़ित मां से उसके गर्भस्थ शिशु को
एक बार इस्तेमाल की जानी वाली सुई को दूसरी बार इस्तेमाल करने से
एक से ज्यादा सेक्सुअल पार्टनर होने से
एड्स HIV संक्रमण के कारण होता है. इसमें व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता बिल्कुल खत्म हो जाती है. इसका पूरा नाम एक्वॉयर्ड इम्यून डेफिशिएंसी सिन्ड्रोम है. एड्स के कारण पिछले 35 सालों में करीब 36 मिलियन लोग अपनी जान गंवा चुके हैं. एक एचआईवी पॉजिटिव व्यक्ति 20 साल भी जी सकता है और हो सकता है कि उसकी मौत कुछ ही महीनों में हो जाए. एचआईवी पॉजिटिव होने पर किसी व्यक्ति को एड्स होने का खतरा होता है.
जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बहुत अच्छी है, वे ज्यादा दिन तक सरवाइव कर पाते हैं. अभी एड्स को खत्म करने के लिए दुनियाभर में रिसर्च चल रहे हैं. अभी कुछ दवाईयां मार्केट में उपलब्ध हैं, लेकिन वे आज भी आम लोगों की पहुंच से दूर हैं.
एड्स के मरीजों में भारत दूसरे स्थान पर
सबसे ज्यादा एड्स के रोगी अफ्रीका में हैं. वहीं भारत दूसरे स्थान पर है. भारत में पहला एड्स मरीज 1986 में मद्रास में पाया गया था.