संवेदनशील क्षेत्रों में वाॅच टावरों मे कार्मिकों की संख्या बढ़ाने के निर्देश जिलाधिकारी डाॅ.नीरज खैरवाल ने दिये।

न्यूज लाईव संवाददाता संदीप पाडे:—

रूद्रपुर – विगत वर्षो में हुई दावाग्नि की घटनाओं के कारणों को गंभीरता से लेते हुए संवेदनशील क्षेत्रों में वाॅच टावरों के साथ ही कार्मिकों की संख्या बढ़ाना सुनिश्चित करें। यह निर्देश जिलाधिकारी डाॅ.नीरज खैरवाल ने जिला कार्यालय स्थित डाॅ.एपीजे अब्दुल कलाम सभागार में आयोजित वन अग्नि सुरक्षा समिति की बैठक में वन विभाग के अधिकारियों को दिये। उन्होंने कहा कि वनाग्नि से वन्य जीव-जन्तुओं के नुकसान के साथ ही कई प्रजातियों के लुप्त होने व क्षेत्रीय पारिस्थितिक तन्त्र पर खतरा बना रहता है, वन्य जीवों को बचाने और उनकी प्रजातियों को संरक्षित रखने हेतु फायर सीजन से पहले ही ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि वन अग्नि रोकने हेतु जनपद में गठित वनाग्नि सुरक्षा समितियों  का सहयोग लेने के साथ ही लोगों में जन-जागरूकता बढ़ाने हेतु वृहद्ध स्तर पर कार्यक्रम आयोजित करने के निर्देश दिये। उन्होंने विद्यालयों में होने वाली प्रार्थना सभाओं में समय-समय पर वनों के महत्व पर जानकारी देने तथा ब्लाॅक तथा जनपद स्तर पर निबन्ध, पेंटिंग, वाद विवाद प्रतियोगिताएं आयोजित कराने के निर्देश दिये।
उन्होंने कहा कि वन अग्नि से जल रिसाव में कमी, जल स्रोतों का सूखना, वर्षा जल बहाव में वृद्धि, वनों के विकास में अवरोध, महत्वपूर्ण प्रजातियों का विनाश, चारापत्ती, जड़ी-बूटी की पूर्ति में बाधा के साथ पर्यावरण प्रदूषित होता है। उन्होंने अग्नि की रोकथाम हेतु वाॅच टावर, मैन पाॅवर व फायर लाइन बढ़ाने के साथ वन क्षेत्रों में बनी सड़क के किनारों की सफाई कराने हेतु फारेस्ट फायर सीजन का इंतजार किये बिना अभी से ही कार्यवाही करने के निर्देश दिये। उन्होंने वनाग्नि पर प्रभावी नियंत्रण व तत्काल सूचनाओं के आदान प्रदान हेतु मास्टर कंट्रोल रूम, कन्ट्रोल रूम, क्रू स्टेशनो व मोबाईल क्रू-स्टेशनों पर सभी अधिकारियों/कर्मियों के मोबाइल नम्बर अंकित करने के निर्देश दिये। उन्होंने लोक निर्माण विभाग एवं सड़क निर्माण एजेंसियों को सड़कों के किनारे की झाडियों का कटान कराने के निर्देश बैठक में दिये। उन्होंने आवश्यकतानुसार बहुद्देशीय वाॅच टावर लगाने हेतु स्थान चिन्हित करने के निर्देश वन विभाग के अधिकारियों को दिये। उन्होंने लोनिवि में कार्यरत गैग को भी वनाग्नि बुझाने हेतु प्रशिक्षित करने के निर्देश दिये। उन्होंने बैरियरों पर लगे सीसीटीवी कैमरों की निरन्तर मोनीटरिंग करने के निर्देश देते हुए कहा कि यदि किसी कैमरे में खराबी आती है तो इसकी सूचना प्राथमिकता के आधार पर दें। यदि चैकिंग मे कोई कैमरा खराब पाया जाता है तो इसकी जवाब देही सम्बन्घित कर्मी की होगी तथा उसके खिलाफ तत्काल कार्यवाही अमल में लाई जायेगी। जिलाधिकारी ने वन क्षेत्र से लगी ग्राम पंचायतों में गोष्ठियों के आयोजन करने, अग्नि सुरक्षा समितियों को सक्रिय करने, फायर सीजन से पहले वन क्षेत्र में सफाई एवं फुकान कार्य में तेजी लाने, पैदल मार्गो की सफाई, संवेदनशील व अतिसंवेदनशील क्षेत्रों में निर्धारित व पर्याप्त सुरक्षा, फायर यंत्रों व वायरलेस की उपलब्धता के साथ सामुहिक प्रयासों से वन अग्नि दुर्घटना में कमी लाने के निर्देश दिये।
प्रभागीय वनाधिकारी कल्याणी ने बताया कि जनपद में तराई केन्द्रीय, तराई पूर्वी व तराई पश्चिमी वन प्रभाग का क्षेत्र आता है। जनपद में तीनो प्रभागों का कुल क्षेत्रफल 93826.35 हैक्टेयर है जिसमे से 90176.94 हैक्टयेर क्षेत्रफल वनाग्नि की दृष्टि से संवेदनशील है। उन्होंने बताया कि गत वर्ष वनाग्नि की 110 घटनाएं हुई थी जिससे 129.63 हैक्टेयर क्षेत्रफल प्रभावित हुआ था। उन्होंने बताया कि वनाग्नि नियंत्रण हेतु जनपद में 59 क्रू-स्टेशन, 33 सीजनल क्रू-स्टेशन, 6 वाच टावर स्थापित हैं तथा 131 नियमित कर्मचारी, 54 फायर वाचर, 20 दैनिक श्रमिक कार्यरत होने के साथ ही जन सहभागिता हेतु 60 समितियाॅ बनाई हैं। उन्होंने बताया कि प्राकृतिक कारणों-अधिक तापमान, नमी की कमी, वायुवेग व शुष्कता के साथ ही जन सामान्य की लापरवाही, असावधानी से वनों में आग लगने की संभावनाएं बढ़ती हैं।
बैठक में अपर जिलाधिकारी प्रताप सिंह शाह, जिला आपदा प्रबन्धन अधिकारी डाॅ.अनिल शर्मा, एआरटीओ राम प्रकाश राठौर, मुख्य अग्नि शमन अधिकारी एनएस कुॅवर आदि उपस्थित थे।

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