सरकारी दफ्तरों में बड़ा तगड़ा है रिश्वत का नेटवर्क

 मथुरा से न्यूज लाईव संवाददाता नितेश ठाकुर की रिपोंट:–
मथुरा। सरकारी दफ्तरों में रिश्वत का नेटवर्क बड़ा तगड़ा है। थाने और तहसीलों में तो बगैर रिश्वत के कुछ काम करा पाना संभव ही नहीं है। एक सर्टिफिकेट बनवाने के लिए भी पैसा देना पड़ता है। अफसर और कर्मचारियों की गिरफ्तारी से इसका खुलासा होता रहा है। मथुरा में वर्ष 2015 में जिला विद्यालय निरीक्षक की गिरफ्तारी हुई थी। वह बोर्ड परीक्षा का सेंटर बनाने के नाम पर एक स्कूल प्रबंधक से 50 हजार की रिश्वत ले रहा था। विजिलेंस ने रिश्वत लेते वक्त उसे गिरफ्तार किया था। वर्ष 2016 में डीआईओएस का बाबू का गिरफ्तार किया गया था। मथुरा-वृंदावन विकास प्राधिकरण का एक इंजीनियर भी रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया जा चुका है। वर्ष 2016 में एक लेखपाल को भी एंटी करप्शन की टीम ने रिश्वत लेते वक्त दबोचा था। एक प्रमाण पत्र बनाने के नाम पर घूस ली जा रही थी। अभी कुछ महीने पहले ही एंटी करप्शन की टीम ने ग्राम पंचायत विकास अधिकारी को एक प्रमाण पत्र के लिए बीस हजार की रिश्वत लेते वक्त दबोचा था। सोमवार को मांट से सीडीपीओ की गिरफ्तारी की गई। उसकी गिरफ्तारी ने आंगनबाड़ी विभाग में रिश्वत के बड़े खेल का खुलासा किया है। बताया जाता है कि उसने सहायिकाओं से पैसा बांध रखा था। जो पैसा नहीं देते उनके खिलाफ कार्रवाई की जाती है।
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