सांस्कृतिक धरोहर को संजोये गुरु गोरखनाथ मंदिर का मेला।
क्वेैराला(ओखलकाण्डा)।जनपद नैनीताल के ओखलकाड़ा क्षेत्र के अर्न्तगत क्वैराला ग्राम सभा में आयोजित गुरु गोरखनाथ जी की पूजा की परम्परा सदियों से क्षेत्रवासियों की अनमोल व अमूल्य धरोहर है।इस धरोहर को संजोये रखने के लिए प्रति वर्ष श्रावण के मांह में सभी क्षेत्रवासी मिलकर अपने ईष्ट गोरखनाथ जी की मिलकर पूजा करते है।इस पूजन समारोह को स्थानीय भाषा में जागिया कहते है।और लोगों के आवागमन को जातुर रात भर चलनें वाले इस पावन पूजन कार्यक्रम में लोग श्नद्वा के साथ गुरु गोरखनाथ जी की पूजा करते है।और झोड़े,चाचरी,न्यौली,से वातावरण को भव्य आभा प्रदान करते है।भक्ति से सरोबार यह पूजा विराट मेले का स्वरुप भी है।इस मेले व पूजन कार्यक्रम से जहां दर्जनों गांवों के हजारों लोंगों आपस में भेटं होती है,वही दूर दराज बाहरी क्षेत्रों में बसें लोग भी यहां पहुचकर एक दूसरे का हालचाल जानकर पुराने दिनों की यादे ताजा करते है।पुरानी यादों के साथ पुरानी बातों को आपस में बाचतें हुए देवीधूरा के आषाढ़ी कौतिक में मिलने का वादा करते है।वकायदा इस हेतु आयोजकों द्वारा निमत्रंण भी प्रदान किया जाता है।श्रावणी पर्व रक्षा बंधन से कुछ दिनों पूर्व ही यह पूजा होती है।जनपद चम्पावत से सटा क्षेत्रं होनें के नाते यहां से सैकड़ों लोग देवीधुरा मेले के दर्शनों व माँ बाराही के पूजन को जाते है।कुल मिलाकर सदियों से चली आ रही यह पूजा गुरू गोरखनाथ जी के प्रति आस्था व भक्ति का अलौकिक संगम है।इस संगम में मशकबीन की मधुर धुन,हुड़के की उत्साह जनक थाप, शास्त्रीय संगीतों की धुन पर थिरकते भक्तों के कदम शिवरात की गोरखपूजा में महान उंमग का केन्द्र रहती है।रात भर की पूजा के पश्चात् प्रातः काल हवन,यज्ञ,व भण्डारे का आयोजन होता है।लगभग बीस हजार भक्तों के समुदाय से रौनक का केन्द्र बनी यह पूजा बिगत31जुलाई को संम्पन हुई इस पूजन समारोह में ग्राम गरगड़ी तल्ली,गरगड़ी मल्ली,झड़गांव,कालाआगर,गलनी,टीमर,बडौन,ल्वाड़,मटेला,खनस्यूं,पतलोट,कौतां,गारा,चमोलीओखलकाड़ा,अधोड़ा,डोवा,हरीशताल,डालकन्या,पश्यां,कौडार,जमराडी,कौटली,रमेड़ा गांव,सुरंग,बबियाड़,लोगड,गाजा पटरानी,कैड़ा गांव,कुंडल ल्वाड़,भद्रकोट,गौनियारो,आदि तमाम ग्राम सभाओं के नन्हें मुन्हें बच्चों,महिलाओं,बुजुर्गों,युवाओं ने भाग लिया।पूजन कार्यक्रम में विधायक राम सिंह कैड़ा,पूर्व विधायक दान सिंह भण्डारी,सहित अनेक सामाजिक,राजनितिक,व आध्यात्मिक हस्तियों की भी उपस्थिति रही हजारों लोगों ने मंदिर की परिक्रमा करके गुरू गोरखनाथ जी से आशीर्वाद लिया।उल्लेखनीय है कि आध्यात्म के ट्टष्टिकोण से यह क्षेत्र जितना समृद्ध है।उतना ही विकास से उपेक्षित यदि इस तरह के परम्परागत मेलों की ओर सरकार ध्यान दे।निशिचत ही तीर्थाटन का यहां बेहतर विकास हो सकता है।यहां यह भी गौरतलब है।कि उत्तराखण्ड़ की धरती में गुरुगोरखनाथ जी परम पूज्यनीय है।ओखलकाड़ा,बेतालघाट,क्षेत्रों के गांव गांव में इनकी धूनियां विराजमान है।जनपद चम्पावत के मंच तामली क्षेत्रं में इनकी द्वापरयुगीन धुनी आज भी निरन्तर प्रज्जवलित रहती है।केदारनाथ के समीप गौरीकुण्ड,काठगोदाम के निकट कालीचौड़, व जनपद पिथौरागढ़ का पाताल भुवनेश्वर,सहित अनेक भूभाग इनकी तपस्या का केन्द्र रहे है।अनेक भागों में इनकी पूजा लोग परम ईष्टदेव के रूप में करते है।आस्थावान भक्त देवन्द्र सिंह ऐरी बताते है,कि चमत्कारिक व दिव्य शक्तियों के स्वामी महान सिद्व श्री गोरखनाथ जी जहां एक ओर भारतवर्ष के सभी लोक देवताओं के गुरु मानें जाते है।वही सनातन संस्कृती की मूल गौ माता के महान पोषक व संरक्षक भी कहे जाते है।बंगाल के धारा नगरी गांव में जन्में गुरूजी की तपोभूमि उत्तराखण्ड़ रही है।नाथ सम्प्रदाय के संस्थापक बाबा की महिमां अपरम्पार है।