अल्मोड़ा के शिक्षा संकाय द्वारा संचालित शोध परियोजना के प्रथम चरण में मुनस्यारी विकासखंड में राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय में एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया ।

एनएचएल नेटवर्क।

मुनस्यारी। उच्च शिक्षा विभाग, उत्तराखण्ड द्वारा वित्तपोषित “मुख्यमंत्री उच्च शिक्षा शोध प्रोत्साहन योजना” के अंतर्गत सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय, अल्मोड़ा के शिक्षा संकाय द्वारा संचालित शोध परियोजना के प्रथम चरण में मुनस्यारी विकासखंड में राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय में एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया । स्व० डॉ० आर.एस. टोलिया राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय मुनस्यारी के मीडिया प्रभारी डॉ० रिफाकत अली ने बताया कि महाविद्यालय सभागार में आयोजित इस कार्यशाला का विषय “समाज, हमारी संस्कृति, हमारी पहचान” रहा । कार्यशाला में समाज के वंचित वर्ग के छात्रों के सामाजिक-सांस्कृतिक और शैक्षिक दृष्टिकोणों पर चर्चा की गई।

मुख्य अतिथि, कुमाऊं विश्वविद्यालय, नैनीताल के पूर्व डीन और शिक्षा संकाय के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो. एन.सी. ढौंठियाल ने अपने संबोधन में कहा कि “सामाजिक-सांस्कृतिक पहचान शिक्षा में ज्ञान-अभ्यास, शिक्षण-प्रक्रिया को प्रभावित करती है। क्षेत्रीय भाषाओं की उन्नति, भाषाई विविधता को बढ़ावा देने, और पारंपरिक ज्ञान पर आधारित व्यावसायिक शिक्षा के नए पाठ्यक्रमों को उच्च शिक्षा में शामिल करने की आवश्यकता है। उन्होंने पारंपरिक ज्ञान पर आधारित व्यावसायिक शिक्षा को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर जोर दिया, ताकि रोजगार के लिए प्रवास की समस्या को कम किया जा सके और उच्च शिक्षा में नामांकन बढ़ सके। महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो० हितेश कुमार जोशी  ने सामाजिक परिवर्तन में व्यक्ति के व्यक्तित्व की विभिन्न परतों को उजागर करने पर बल दिया। विशिष्ट अतिथि प्रो. विजया रानी ने भी अपने विचार साझा किए। कार्यक्रम का संचालन शोध परियोजना की मुख्य अन्वेषक डॉ. संगीता पवार ने किया। इस अवसर पर  दुर्गेश कुमार शुक्ला, डॉ० राहुल पाण्डेय,  चन्द्र प्रकाश आर्या, डॉ० रिफाकत अली,  अमित कुमार टम्टा,  निधि मारोठिया, डॉ० रवि जोशी, भूमिका लोहनी, डॉ० हेमन्ती, डॉ० रवि जोशी, डॉ० राजेन्द्र सिंह, बलवन्त सिंह, डॉ० भागीरथी राणा, डॉ० शैलेष भंडारी, और बड़ी संख्या में महाविद्यालय के छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।
शोध परियोजना के तहत, जिले के नारायण नगर, बलुवाकोट, मुवानी, बेरीनाग, गंगोलीहाट और पिथौरागढ़ परिसर में आगामी दिनों में कार्यशालाओं और डेटा संग्रहण का कार्य किया जाएगा। इस शोध के परिणामस्वरूप वंचित वर्गों को उच्च शिक्षा के स्तर पर लाने और समकालीन सुधारों के लिए आवश्यक सुझावों को पाठ्यक्रम, शिक्षण पर्यावरण, बुनियादी ढांचे और शिक्षण विधियों में लागू करने के उद्देश्य से शिक्षा नीतियों का विकास किया जाएगा।

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