लकांपति रावण से जुड़ी हुई लमकेश्वर की गाथा

लकांपति रावण से जुड़ी हुई लमकेश्वर की गाथा
——

न्‍यूज होम लाइव संवाददाता रमाकान्त पन्त
——-
ॐ नमः शिवाय 156
जनपद पिथौरागढ़ की सुनहरी चोटी पर स्थित लमकेश्वर महादेव जी का मन्दिर युगों- युगों से महादेव भक्तों के लिए महामंगल का प्रतीक है,त्रिकाल दर्शी देवाधिदेव महादेव के इस मन्दिर की गाथा लकांपति रावण से जुड़ी हुई है
बेरीनाग व गंगोलीहाट के मध्य जाड़ापानी नामक स्थान के पास से हरे- भरे पर्वतमालाओं का सफर करते हुए ऊँची चोटी पर लगभग तीन किमी जटिल पैदलमार्ग से चलकर लमकेश्वर महादेव के दर्शन किये जा सकते है।
हिमालय की बर्फिली चोटियों सहित पहाड़ों के खूबसूरत नजारे यहां से दिखाई देते हैं यहां पहुंचने पर थकान में चूर शिव भक्तों की सारी थकान लंमकेश्वर महादेव मंदिर के प्रांगण में पहुंचते ही छूमंतर हो जाती है, रास्ते का पैदल सफर बड़ा ही रोचक है लगभग तीन-चार किलोमीटर का बियाबान जंगल रमणीक सौंदर्य को अपने आंचल में बिखेरा हुआ है पहाड़ों के देव मार्गों में सुंदरता की ऐसी सौगात बहुत ही कम देखने को मिलती है।
देश की आजादी में झलतोला क्षेंत्र का विशेष योगदान रहा है।यहाँ का राम मंदिर काफी लोकप्रिय है, झलतोला से लंमकेश्वर महादेव का पैदल सफर शुरु होता है। यह सफर बेहद निराली अनुभूति प्रदान करता है, तीज त्यौहारों के अवसरों पर इस मार्ग में काफी चहल-पहल रहती है। क्षेत्र से बाहर रहने वाले लोग जब अपने इष्ट देवताओं की पूजा अर्चना के लिए अपने घर आते हैं तो बाबा लंमकेश्वर महादेव के दरबार में जाना कभी नहीं भूलते भगवान शिव के प्रति शिव भक्तों की यह मधुर निष्ठा लंमकेश्वर महादेव की विराट आभा को दर्शाती है। भगवान शिव के इस दरबार के प्रति अनेक रहस्यमयी कथाएं जनमानस में काफी लोकप्रिय है। कल्याण के देवता लंमकेश्वर महादेव जी की महिमा का वर्णन स्कंद पुराण के मानस खंड में भी मिलता है। यहाँ के पर्वत की चोटी से हाट कालिका का दरबार, नाग पर्वतों की श्रृंखलाएं, पाताल भुवनेश्वर की पहाड़ियां, बरबस ही आगंतुकों का मन मोह लेती है। बृद्ध भुवनेश्वर, धुर्का देवी, बिनसर महादेव,आदि मदिरों की भांति ही लमकेश्वर महादेव को प्रकाश में लानें का श्रेय गौ माता को जाता है, गौ कृपा से ही यह क्षेत्र प्रकाश में आया कहा जाता है, कि लमकेश्वर महादेव जी के पिण्डी के आखिरी छोर का कोई अता-पता नही है, कि यह जमीन में कहां तक है।
कल्याण उत्पादक लंमकेश्वर महादेव जी के इस पावन क्षेत्र में अनेक साधकों ने अपनी साधना को फलीभूत किया प्राचीन काल में ऋषि मुनियों की तपस्या आराधना का केन्द्र भगवान शिव का यह दरबार परम पूजनीय है। क्षेत्रीय लोग अनाज की अपनी पहली फसल लंकेश्वर महादेव जी के चरणों में अर्पित करके क्षेत्र की सुख-समृद्धि व मंगल की कामना करते हैं यह परंपरा पुरातन काल से चली आ रही है समय-समय पर यहां लगने वाले मेले बेहद आकर्षण का केन्द्र रहते है।
नमस्तेऽस्तु लमकेश्वर नमस्ते परमेश्वर। नमः शिवाय देवाय नमस्ते ब्रह्मरूपिणे॥ नमोऽस्तु ते महेशाय नमः शान्ताय हेतवे। प्रधानपुरुषेशाय योगाधिपतये नमः

Share This News