अनुसूचित जाति की युवती के साथ बलात्कार, मारपीट, गाली गलौज, जान से मारने धमकी देने के आरोपी युवक को आजीवन कारावास।

एनएचएल नेटवर्क।

नैनीताल। जिला एवं सत्र न्यायाधीश सुबीर कुमार द्वारा अनुसूचित जाति की महिला के साथ शादी का झांसा देकर दो वर्ष तक बलात्कार के साथ-साथ मारपीट व गाली गलौज तथा जान से मारने के जुर्म में अभियुक्त को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है।
अभियुक्त रोहित पलड़िया पुत्र धर्मानन्द पलड़िया निवासी गौलापार काठगोदाम्, नैनीताल को धारा-323,376 (2) (एन), 504,506 भा०द०सं० व 3 (2) (वी) एस०सी०एस०टी० एक्ट के अन्तर्गत दोषी करार किया। अभियोजन के मुताबिक 16 फरवरी 2022 को थाना हल्द्वानी में मामले से संबंधित पीड़िता द्वारा अभियुक्त रोहित पलड़िया के विरूद्ध रिपोर्ट दर्ज करायी कि पीड़िता जब प्राईवेट अस्पताल में जाब करती थी तो वहाँ पर वार्ड बॉय रोहित पलडिया पिता धर्मानन्द पलडिया निवासी गौलापार भी काम करता था। उसने मुझसे मिठी मिठी बातें कह कर और शादी का झांसा देकर लगभग 1-1/2 (डेढ साल) तक शारीरिक सम्बंध बनाये, उसके उपरान्त पीड़िता से अभियुक्त द्वारा कहा गया कि वह उसके साथ शादी • करेगा और इसी आढ़ में पीड़िता का शारीरिक शोषण करते रहा, जब पीड़िता ने शादी के लिए बार बार अभियुक्त से कहा तो अभियुक्त पीड़िता को घोड़ाखाल मंदिर ले गया और वहाँ मांग में सिन्दूर भरकर कहा कि निकट भविष्य में वह अपने घर वालों से बात करके हिन्दू रीति रिवाज के अनुसार शादी करेगा, लेकिन जब काफी समय तक अभियुक्त द्वारा पीड़िता के साथ शादी नहीं करी तो पीड़िता के बार बार कहने पर अभियुक्त द्वारा पीड़िता के साथ जाति सूचक शब्दों का प्रयोग कर अपमानित कर शादी से इंकार कर दिया। अभियोजन की ओर से जिला शासकीय अधिवक्ता फौजदारी सुशील कुमार शर्मा द्वारा अभियोजन तथ्यों को साबित करने हेतु मामले की पीड़िता सहित अन्य 8 गवाहों के माध्यम से अभियोजन के इस तथ्य को साबित कराया कि अभियुक्त रोहित पलड़िया द्वारा यह जानते हुए कि पीड़िता अनूसूचित जाति उप जाति शिल्पकार जाति की थी और अभियुक्त रोहित ब्राह्माण जाति का था और अभियुक्त द्वारा पीड़िता को शादी का झांसा देकर लगभग 2 वर्षों तक विभिन्न स्थानों में उसके साथ उसकी मर्जी के विरूद्व शारीरिक संबंध बनाये, बाद में जाति सूचक शब्दों का प्रयोग कर कहा कि वह पीड़िता जो कि अनुसूचित जाति की है, उससे शादी नही कर सकता है।

न्यायालय द्वारा अपने निर्णय में यह भी कहा कि अभियुक्त द्वारा पीड़िता को विवाह के भ्रम में रखते हुए उसके साथ लगातार शारीरिक संबंध बनाकर बलात्कार किया गया है, इतना ही नहीं अभियुक्त पीड़िता के साथ मारपीट कर जान से मारने की धमकी देता था, साथ ही पीड़िता को अत्यन्त अपमानजनक तरीके से यह भी कहता था

अभियुक्त रोहित पलड़िया को धारा 376 (2) (n) भारतीय दण्ड संहिता के अन्तर्गत 10 वर्ष (दस वर्ष) के कठोर कारावास तथा मुव. 20,000/- रूपये (बीस हजार रूपये) के अर्थदण्ड दण्डित किया जाता है। अर्थदण्ड अदा न करने की स्थिति में अभियुक्त छः माह के अतिरिक्त साधारण कारावास में रहेगा। अर्थदण्ड की धनराशि में से रूपये 15,000/- (पन्द्रह हजार रूपये) पीड़िता को प्रतिकर के रूप में देय होंगें।

अभियुक्त रोहित पलड़िया को धारा 504 भारतीय दण्ड संहिता के अन्तर्गत 01 वर्ष (एक वर्ष) के कठोर कारावास से दण्डित किया जाता है।
अभियुक्त रोहित पलड़िया को धारा 506 भारतीय दण्ड संहिता के अन्तर्गत 01 वर्ष (एक वर्ष) के कठोर कारावास से दण्डित किया जाता है। अभियुक्त रोहित पलड़िया को धारा 3 (2) (v) अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 के अन्तर्गत कठोर आजीवन कारावास एवं मुव. 20,000/- रूपये (बीस हजार रूपये) के अर्थदण्ड से दण्डित किया जाता है। अर्थदण्ड अदा न करने की स्थिति में अभियुक्त छः माह के अतिरिक्त साधारण कारावास में रहेगा। अर्थदण्ड की धनराशि में से रूपये 15.000/- (पन्द्रह हजार रूपये) पीड़िता को प्रतिकर के रूप में देय होंगें।

अभियुक्त को दी गयी उपरोक्त सभी सजाए साथ-साथ चलेंगी। धारा 428 दण्ड प्रक्रिया संहिता के अन्तर्गत अभियुक्त को दी गयी। सजाएं उसकी न्यायिक अभिरक्षा की अवधि में समायोजित की जायेगी। अभियुक्त का सजायाबी वारण्ट बनाया जाये।
अभियुक्त को अवगत कराया गया कि वह इस निर्णय के विरूद्ध माननीय उच्च न्यायालय उत्तराखण्ड, नैनीताल के समक्ष अगले 60 दिन में आपराधिक अपील योजित कर सकता है। यदि अभियुक्त जेल के माध्यम अपील योजित करना चाहता है तो इस संबंध में जेल अधीक्षक, जिला मजिस्ट्रेट, नैनीताल तथा जिला विधिक सेवा प्राधिकरण अभियुक्त को समुचित कानूनी सहायता उपलब्ध करायेंगें।

पीडिता के मामले को, दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 357ए के तहत उत्तराखण्ड अपराध से पीड़ित सहायता योजना-2013/उत्तराखण्ड यौन अपराध एवं अन्य अपराधों से पीड़ित / उत्तरजीवी महिलाओं हेतु प्रतिकर योजना, 2020 के

तहत, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण नैनीताल को क्षतिपूर्ति की धनराशि दिलाये जाने हेतु, निर्णय की प्रति के साथ संदर्भित किया जाये। निर्णय की एक प्रति अभियुक्त को निःशुल्क प्रदान की जावे।

 

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