वैदिक मंत्रोच्चार के बीच रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा हुई। मंदिर में रामलला की नए विग्रह के साथ उनका पुराना विग्रह भी रखा गया।
एनएचएल नेटवर्क।
अयोध्या में श्री राम जन्मभूमि मंदिर से राम लला की प्रतिमा की पहली झलक सम्मोहित करने वाला था। इस मौके पर पीएम नरेंद्र मोदी और सीएम योगी आदित्यनाथ ने शीश झुकाकर रामलला का आशीर्वाद लिया। वैदिक मंत्रोच्चार के बीच रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा हुई। मंदिर में रामलला की नए विग्रह के साथ उनका पुराना विग्रह भी रखा गया है। नया विग्रह अचल होगा, जिसे कभी गर्भगृह से बाहर नहीं निकाला जाएगा।
अभिजीत मुहूर्त में रामलला के पूर्ण स्वरूप की पूजा हुई। मुकुट, कुंडल और आभूषणों से सजे पांच साल के श्रीराम की छवि देखकर वहां मौजूद पीएम मोदी, योगी आदित्यनाथ समेत सभी लोग भावुक हो गए। पीएम मोदी ने लिखा अयोध्या धाम में श्री रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा का अलौकिक क्षण हर किसी को भाव-विभोर करने वाला है। इस दिव्य कार्यक्रम का हिस्सा बनना मेरा परम सौभाग्य है।
रामलला के इस विग्रह की खासियत है कि इस पर रोली, चंदन या सिंदूर लगाने के बाद भी इसकी चमक फीकी नहीं पड़ेगी। मकराना पत्थर से बना विग्रह जमीन से 7 फीट ऊंचा है। रामलला 3.4 फीट ऊंचे कमल आसन पर विराजमान है।
मूर्ति के उपर स्वास्तिक, गदा, ऊं, शंख, सूर्य और चक्र बनाए गए हैं। 51 इंच की रामलला की मूर्ति का वजन 150 किलो है। इस विग्रह के दोनों तरफ चक्र में विष्णु के दस अवतारों को उकेरा गया है।
शंख के घोष और घंटी- घड़ियाल की स्वर लहरियों के बीच पीएम नरेंद्र मोदी ने रामलला की आरती उतारी। मोहन भागवत ने भी थाली में दीप रखकर आरती की। इस दौरान वहां मौजूद पुजारी चंवर हिलाकर प्रभु की सेवा करते रहे। योगी आदित्यनाथ भी ताली के साथ आरती गाते रहे। पूरी आरती के दौरान योगी हाथ जोड़े खड़े रहे। बाद में उन्होंने भी आरती उतारी।अयोध्या में पीएम नरेंद्र मोदी ने अपने उद्बोधन की शुरुआत जय श्रीराम के साथ किया। उन्होंने कहा कि ये क्षण अलौकिक है। ये क्षण प्रभु श्रीराम का हम सब पर आशीर्वाद है। सदियों की प्रतीक्षा के बाद हमारे राम आ गए हैं। अब हमारे राम टेंट में नहीं रहेंगे। पीएम मोदी ने कहा कि हम बहुत सौभाग्यशाली हैं जो रामलला की प्राण प्रतिष्ठा पर मौजूद हैं। यह समय सामान्य समय नहीं है। यह काल के कपाल पर अमिट स्मृति रेखाए हैं। राम मंदिर के भूमि पूजन के बाद से देश में उमंग और उत्साह बढ़ता जा रहा था। देशवासियों में नया विश्वास पैदा हो रहा था। आज हमें सदियों के धैर्य की धरोहर मिली है। हमें श्रीराम का मंदिर मिला है।